Saturday, December 29, 2018

पतंग और डोर

मैं हूँ पतंग और तू डोर, पर मेरी नहीं हाँ कभी अपना कहता था तुझे जब तू बंधी थी मुझसेफिर जाने क्या मौसम बदला और तू छोड़ गयी मुझे दूर तनहा इस गगन में अकेले, जहाँ से मैं वापस सका और तू तो डोर थी बंध गयी किसी और के साथ। मगर तेरी भी मजबूरियाँ समझता हूँ मैं दोस्त, तू भी तो टूटी है मेरे साथ यादें बनकर, खोने से ज़्यादा टूटने का अहसाह दर्द दे जाता है यही सोचकर मैं खोया सा रहता हूँ कि किस हाल में होगी तू मुझसे टूटकर मैं तो खो गया हूँ ज़िंदगी के आसमानी तूफ़ान में और तू दुनिया की उलझनों में उलझी होगी कहीं  
जब यहीं हस्र करना था तुझे हमारा तो हे निर्माता अपने चंद पल के खेल के लिए हमें बनाया क्यूँ था, और बनाया तो इतना कमज़ोर क्यू बनाया कि तेरे खेल  में ही मिट गयी हमारी हस्ती। कब तक तू खेलता रहेगा इंसान रूपी पतंग-डोर से , कब तक नाचते रहेगे हम तेरे इशारों पर हे भगवान अब तो हमसे खेलना छोड़ दे या फिर से मुझ पतंग को मेरी डोर से जोड़ दे  

-एक व्यथित पतंग (चंद्र मोहन)

Thursday, February 28, 2013

तुम्हारा साथ बहुत याद आयेगा

हमें तुम्हारा साथ बहुत याद आयेगा,
क्या तुम्हे भी कभी हमारा ख्याल आयेगा।
खुद से रिलेटेड अनिल गिरि के चुटकुले,
वो जिद वो बचपना वो हंसी के खिलखिले।
आशीष की वो बोल्डनेस वो खुद पर विश्वास
मैडमों से हर बात मनवाने का प्रयास।
अरविन्द का बहुत सी लडकियों से इज़हार,
टांग अपनी खिंचवाने को रहना तैयार।
’चन्द्र मोहन’ अब किसे इतना सतायेगा।
हमें तुम्हारा .................क्या तुम्हे भी.............|
 
गौतम की स्टाइल देने की फ़्लाइंग किस,
मिलनसार दोस्त को क्यूं न करेंगे मिस।
दीपक भाई का वो सख्त मिजाज,
हर हफ़्ते पौडी जाने का मालूम है मुझे राज़।
देवराज का दोस्तों की करना हरदम चाप,
हार मानते हैं आपसे करदो हमको माफ़।
तुम्हारी दिखाई राह पर जाने कौन सा मोड आयेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
पंकज के वो ब्रेकिंग संटेन्स, बातें वो अनकही,
कहना ऐसा झूठ है ब्रेकेट में नहीं
पार्थ भैया का वो इन्ट्रक्टिंग ब्यवहार,
भोला सा इन्सान वो अच्छा कलाकार।
राकेश को क्लास में प्रजेंन्ट कौन बतायेगा,
दादागिरि वाला हेमन्त याद तो आयेगा,
दोस्तों के हाथो से हाथ जाने कब मिल पायेगा
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
विनोद चमोला की वो नर्वसनेस,
पर दोस्तों के लिये हरदम फ़ेयरनेस,
सुनील राज़ छुपाया बहुत हमें अब कहने दे,
और उसका कहना रहने दे, रहने दे तू रहने दे।
सुभाष हमेशा आशावादी विचार ही कहना,
फ़स्ट इयर मे था जैसे वैसे ही रहना,
जज्बातों की बाढ मे यादों का मंजर बह जायेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
रघुवीर दोस्ती में ऐसे ही कमाल किये जा,
जो मांगे माचिस उसे मसाल दिये जा।
नवीन तेरा हिसाब और वो वाला गाना,
रिस्पांसिबल नेचर और सबकी मदद को आना।
रियली में हमें प्यार से गले कौन लगायेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
मनीषा का दोस्तों के प्रति समर्पण,
अजनबी थे पर पाया अपनापन।
दीप्ती का दोस्तों के लिये केयरिंग जज्बा,
और भक्तियाना, शक्तिविहार का खुशनुमा कस्बा।
मीना क कहना और बच्चों कैसे हो,
उस सुन्दर सी मैडम बिना कैसे रहा जायेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
कपिला क क्लास में वो उधम मचाना,
प्यारे-प्यारे दोस्तों संग दादागिरि दिखाना।
पूजा जी कि वो दुर्लभ मुश्कान,
रह जायेंगे अब तुमसे मिलने के अरमान।
पूनम का वो शालीन ब्यवहार,
बडों के लिये इज्जत, छोटों के लिये प्यार।
सिद्धांतों की राह अब कौन दिखलायेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
राधा तुम सुम्मो से ही जाना,
खुश रहना पर हमें ना भुलाना।
हमारी मजाक अब कौन बर्दास्त कर पायेगा,
रीना हमें करेक्ट इन्फ़ार्मेशन कौन सुनायेगा।
श्रीनगर का तेरा गली मोहल्ला याद आयेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
शालिनी का वो प्यारा समर्पण,
दोस्तों संग बिताया हर पल हर छ्ण।
राखी की वो प्यारी सी इस्टाइल,
थोडा सा गुस्सा थोडी सी स्माइल।
आऊ! ओ सिट! कहना कोइ नहीं भुलायेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
सोनल की वो नान स्टाप हंसी,
सबके लिये ही चाहना खुशी।
रिचा का वो फ़्रेंक व्यवहार,
न किसी से नफ़रत सबसे  ही प्यार,
पारुल का वो सबसे झगडना,
किसी को चिडाना किसी पर बिगडना।
पर उससा कोई मददगार ना मिल पायेगा।
हमें तुम्हारा.................क्या तुम्हे भी.............|
 
सुनैना मैम का गुस्सा वो अनूठी मुस्कान,
श्रीवास्तव सर और मिठाईयों की दुकान।
भावना मैम की पायलों की झनकार,
रिचा मैम का बच्चों से प्यार।
जूनियर्स का प्यार और करना तकरार,
रैगिंग के दिनों की सीनियर्स की फ़टकार।
रावत सर के नून सैम्पल अननून कौन दिखायेगा।
के. के. सर के पर्दे जाने कौन लगायेगा।
 
हमें तुम्हारा साथ बहुत याद आयेगा,
क्या तुम्हे भी कभी हमारा ख्याल आयेगा।

Friday, January 21, 2011

नागफ़नी की प्रेमकथा


माली:--
"पूछता हूं तुमसे ऐ मेरी नागफ़नी।
क्या तू है इस मरुस्थल के लिये बनी॥
छोडा है तुमने साथ जबसे मेरा।
तबसे तुमको कांटो ने घेरा॥
मेरे साथ होती तो तुम्हे सितारे देता।
जहन्नुम मे भी जन्नत के नजारे देता॥
चांद को बिछाता कदमों मे तेरे।
पतझड में भी महकी बहारें देता॥
क्यों मेरा चमन तुझे रास ना आया।
मैने किया इन्तजार तू पास ना आया॥
कह देते तुम तो जान दे देते,
मेरे प्यार का क्यों तुझे विश्वास ना आया॥
विरान मरूस्थल मे हुयी है अकेली।
उपवन से मेरे, की तुने दुश्मनी॥
क्या तू है इस मरुस्थल के लिये बनी।
पूछता हूं तुमसे ऐ मेरी नागफ़नी॥
किस चीज की थी तलाश तुझको,
जो उपवन से मेरे मन ना लगा तेरा।
अपने उपवन में तुझे वो फ़ूल बनाता।
जिसे देखकर गुलाब भी शर्माता।
खटकता ना तू सबकी नज़रों में।
जो जोड देता मेरे उपवन से नाता॥
नागफ़नी ना कोइ कहता,
सब चन्द्रमुखी कह कर बुलाते।
तेरे रंग से रंगीन होती दुनिया,
बाकी रंग सारे फ़ीके पड जाते॥
जाने इस मरुस्थल मे रखा है क्या,
जो छोड गयी मेरे उपवन की चांदनी॥
क्या तू है इस मरुस्थल के लिये बनी॥
पूछता हूं तुमसे ऐ मेरी नागफ़नी।"

नागफ़नी:-

"अरे माली तेरी नहीं ये नागफ़नी,
मै तो हूं इस मरुस्थल के लिये बनी।
इस मरुस्थल की थी तलाश मुझको,
जो उपवन मे तेरे मन न लगा मेरा।
मरुस्थल को पाके मिली है खुशी,
ये गम नहीं कि कांटों ने घेरा॥
मुझे तो बस मरुस्थल से प्यार है,
सारी दुनिया के आगे इकरार है।
मेरे प्यार में वो जला है जितना,
नागफ़नी भी उतना जलने को तैयार है॥
वो साथ है तो कदमों में सितारे हैं,
उसके चेहरे मे ही जन्नत के नज़ारे हैं।
चांद से अच्छा चेहरा है उसका,
उसकी सांसों से ही महकी बहारें हैं॥
संग हूं मै उसके, हूं ना अकेली,
सारा जमाना चाहे निभा ले दुश्मनी॥
मै तो हूं इस मरुस्थल के लिये बनी,
अरे माली तेरी नहीं ये नागफ़नी॥
मुझे फ़ूल बनने की चाहत नहीं है,
उस यार से मिलने से फ़ुर्सत नही है।
मैंने चाहा जिसे वो मुझे चाहे,
किसी और से मिलने की हसरत नहीं है॥
चन्द्रमुखी कहलाके मैं पहचान खो देती,
नागफ़नी होने की शान खो देती।
उसी के रंग से रंगीन मेरी दुनिया,
उससे बिछडकर जान खो देती॥
तेरे उपवन मे गुलाब का हाल देखा है,
हर किसी के हाथों उसे होते हलाल देखा है॥
मेरे मरुस्थल से मिली मुझे रोशनी,
इसलिये छोड दी तेरे उपवन की चांदनी।
मै तो हूं इस मरुस्थल के लिये बनी,
अरे माली तेरी नहीं ये नागफ़नी॥"

Saturday, October 30, 2010

मेरी मजबूरीयां

मुझको खुशी मिलती है तुमको हंसाने से,
वर्ना मुझे क्या मिलता है युं ही मुस्कराने से।
मैं तो हंस लेता हूं बिन बहाने के,
वो कोइ और होन्गे जो रोते है बहाने से।
गमों मे मुस्करांऊ पर पागल नहीं हूं मैं,
गमों की आदत सी पडी गम ही गम उठाने से।
जब पास थे तुम तो दूर हो गये,
अब पास कैसे आंऊ तुमारे बुलाने से।
तुम तक आये वो राह छोडी मैंने,
अब तो राह भी भूल गया चोट खाने से।
चन्द्र मोहनरखे, हर पल नज़र तुमारी राहों पर,
जाने कब आओ तुम पास मेरे किसी बहाने से।
मुझसे रूठने वालों ये तो सोच लो,
बीत जाये ना ये जिन्दगी रूठने मनाने से।
मुझको खुशी मिलती है तुमको हंसाने से,
वर्ना मुझे क्या मिलता है युं ही मुस्कराने से।

Thursday, September 16, 2010

वाइरस कैसे बनायें??

सभी मित्रों को आश्चर्य होगा कि आज वाइरस बनाने की क्या जरुरत आन पडी पर ये तो सबको पता ही होगा की सांप के जहर को मिटाने के लिये सांप का जहर ही प्रयोग किया जाता है , उसी तरह कुछ बैक्टिरिया भी इन्सान के स्वास्थ्य के लिये उपयोगी होते हैं, इसी प्रकार कुछ उपयोगी कंप्यूटर वाएरस होते है जो आपके कंम्पूटर के एंटीवाईरस की प्रतिरक्षा शक्ति को परखते है

इसके लिये एक नई नोट्पैड फ़ाईल खोलें और ये लिन्क कापी करके पेस्ट करें
----->
X5O!P%@AP[4\PZX54(P^)7CC)7}$EICAR-STANDARD-ANTIVIRUS-TEST-FILE!$H+H*

इसे किसि नाम के साथ .com लगाकर ’सेव एज’ करें

यदि आपका एंटीवाएरस सक्रिय होगा तो सेव करते ही वाएरस आपकी स्क्रीन पर होगा

यह एक लाभदायक वाईरस है जो आपके कम्पूटर को नुकसान नहीं पहुंचाता, आपको यह वाईरस मुबारक हो...........

Monday, May 31, 2010

मौत की सच्चाई


मौत जाने क्यों लोगों को शिकवा है तुमसे।
वे सोचते हैं प्यारों को उनके तू छीन गयी उनसे॥
लेकिन वे कितने अन्जान तुम्हारे प्यार से, तुमसे।
जो तुम्हारे साथ का अर्थ लगाते हैं गम से॥
उनकी तरफ़ से तो मृतक तुमारे क्रोध का शिकार हुआ।
वो क्या जानें मरा वही जिसको तुमसे प्यार हुआ॥
क्या मरने वाला दुखी होता है जिसके लिये हम शोक करें?
वो हमको क्यों छोड गया दुनिया में, यही सोचा करें॥
लेकिन हमने उसका कहां तक साथ दिया? बस जनाजे तक!
जनाजे तक तो सभी साथ देते हैं दोस्त से दुश्मन तक॥
क्या चिता जलने के बाद भी कोइ साथ देता है?
वही मौत साथ देती है जिसका नाम नहीं वह लेता है॥
मौत तू बडी दिल वाली है साथ देती है अन्त मे सबका।
जो है दुनिया मे अकेला, दोस्त ना दुस्मन है जिसका॥
तुझसे मिलने के बाद ही जान पाते हैं सभी तेरा रहस्य।
नहीं कर पायेगा कोइ ब्यथिथ ना किसी का हास्य॥
जान जाते हैं कि तू ही उनका साथ देगी सदा।
क्योंकि याद आता है उसे वह स्वार्थी दुनिया में था॥
उस दुनिया में, जहां उसके सभी थे स्वार्थ के लिये।
उसे लाये थे जो जलाने शमशान तक इसलिये॥
कि बहुत जल्द उसकी लाश सड. ना जाये वहां।
ताकि मौत औरों को ना देख पाये वहां॥
लेकिन मौत का वही अपना, क्या करेगी औरों से मिलकर।
जो उससे मिलने को औरों से दूर हुआ मरकर॥
जो मौत से प्यार ना करे उसके पास जाकर।
वही आ पायेगा उससे सदा के लिये रूठकर॥
लेकिन खुशी की बात ये मौत से सभी प्यार करते हैं।
जीवन मे ना सही जीवन के बाद उसकी पूजा करते हैं॥
पा लेते हैं इतना संतोष कि इस बोझिल दुनिया में,
सुख-दुख और फूल-कांटों की इस बगिया में॥
फ़िर लौटकर दुनिया में,आ सकते तो हैं पर आते नहीं है।
आनन्द मे रहते हैं, मोह-माया की छांव वहां पाते नहीं हैं॥

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